लोकतंत्र के चौथे स्तंभ यानि पत्रकार का देश हित मे स्वार्थी और निजी रूप से निस्वार्थ होना महत्वपूर्ण

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एक पत्रकार एवं उसकी पत्रकारिता की जिम्मेदारी और गैर जिम्मेदाराना पहलुओं पर अगर नज़र डाली जाए तो आज निष्पक्ष पत्रकारिता पर एक बड़ा सवाल खड़ा होता है, क्योंकि कुछ पत्रकारों द्वारा पत्रकारिता जैसे पवित्र पेशे की साफ सुथरी छवि को लालच में आकर अपने निजी स्वार्थ के लिए चाटुकारिता कर गलत तरीके से इस्तेमाल करने के कारण निष्पक्ष पत्रकारिता कहीं खोती जा रही है, जो चिन्ता का विषय भी है,…

मगर जैसे ही देश के लोकतंत्र के तीन स्तंभों का जिक्र आता है तो पत्रकार एवं पत्रकारिता रूपी एक चौथे स्तंभ के जन्म की बात भी सामने आती है, जो अपनी ज़िम्मेदारी निभाते हुए देश हित में उन स्तंभों एवं देश के लिए नकारात्मक सोच रखने वाले हानिकारक तत्वों की गैर जिम्मेदाराना एवं ग़ैर संवैधानिक गतिविधियों पर नज़र रखते हुए समाज को समय-समय पर अवगत कराने की जिम्मेदारी निभा कर निस्वार्थ ही देश की सेवा करता है, तभी पूरे समाज का विश्वास और न्याय दिलाने की ढेर सारी आशाएं उस पत्रकार और उसकी पत्रकारिता पर केंद्रीय हो जाती हैं…

मगर आज कुछ लोग जिस तरह की पत्रकारिता कर रहे हैं वह सिर्फ निंदनीय ही नहीं है बल्कि देश के आने वाले भविष्य के लिए भी बहुत ज्यादा हानिकारक/ख़तरनाक है…

मैं विनम्रता के साथ निवेदन कर कहना चाहता हूँ कि आज जरूरत है सभी पत्रकार भाइयों को पत्रकारिता की गरिमा बनाए रखते हुए निष्पक्ष और निडर पत्रकारिता करने की एवं समाज और देश को बचाते हुए उन्नति की ओर ले जाने की…

देश एवं समाज की निस्वार्थ सेवा के प्रति पत्रकारिता के माध्यम से अपना धर्म निभाते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले उन सभी शहीद पत्रकारों को हम दिल से श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं…💐💐💐

जुनैद खान “पठान” की कलम से

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