हमेशा से लंका पर नहीं था रावण का राज, जानें दशानन ने कैसे हासिल की सोने की लंका?

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रामायण में स्वर्ण नगरी लंका का अद्भुत वर्णन किया गया है. कहा जाता है कि इसकी भव्यता से लक्ष्मण इतने मुग्ध हो गए थे कि उन्होंने रावण पर विजय प्राप्त करने के बाद लंका पर शासन करने का सुझाव दिया था. तब राम ने लक्ष्मण को कहा था कि अपनी मां और मातृभूमि वास्तव में स्वर्ग से भी बड़ी होती है. उत्तरकाण्ड रामायण में बताया गया है कि आखिर रावण को स्वर्णिम लंका कैसे मिली.

कैसे बनी लंका- सुमाली, माली और मलयवन नामक तीन दानव भाई थे. घोर तपस्या के माध्यम से उन्होंने ब्रह्मा से ये वरदान हासिल कर लिया कि उन्हें कोई भी आसानी से नहीं हरा सकता. उन्होंने देवताओं के वास्तुकार विश्वकर्मा को आदेश दिया कि वे उनके लिए ऐसे विशाल भवन का निर्माण करें जो भगवान शंकर के निवास से भी श्रेष्ठ हो.

इसके बाद सुवेला द्वीप पर विश्वकर्मा ने लंका के सुनहरे शहर का निर्माण किया. लंका की इस विशाल हवेली के चारों तरफ सोने की दीवार थी और इसका मुख्य द्वार सोने से सजा हुआ था. इसकी चमक से पूरा शहर शानदार लग रहा था. एक युद्ध में भगवान विष्णु ने माली को मारकर सुमाली, मलयवन और उसके राक्षस मित्रों को पाताललोक भेज दिया.

 

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