आगामी विघानसभा चुनाव-2022 मे मुस्लिम समुदाय की नुमाइंदगी और भागीदारी के संबंध में की गई प्रेसवार्ता।…

0
 9 PM News Live / लखनऊ…
लखनऊ । जैसा कि हम और आप सभी जानते हैं साथ ही सभी राजनीतिक पार्टियां भी ये जानती हैं कि उत्तर प्रदेश मे 20% प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं इसका मतलब हर पांचवा वोटर मुस्लिम समुदाय से है मगर आबादी के हिसाब से नुमाइंदगी काफी कम है 403 विघान सभा सीटों में 84 सीटें आरक्षित है। इसका मतलब इन सीटों पर मुस्लिम समुदाय चुनाव नहीं लड सकता।
अगर हम बात करें आज के राजनीतिक हालात पर तो उत्तर प्रदेश में जातिगत राजनीति अपने चरम पर है, करीब-करीब हर जाति की अपनी पार्टी हैं और अपने नेता हैं, अभी तक विधानसभा चुनाव में मुस्लिम समुदाय का अधिकांश वोट समाजवादी पार्टी या बहुजन समाज पार्टी को जाता रहा है, यह कुछ सीटों पर कांग्रेस को भी यह वोट मिलता है। भाजपा ने मुस्लिम समुदाय से अपनी दूरी पिछले 2017 के चुनाव में एक भी उम्मीदवार ना उतार कर दिखा दी थी, अब सवाल यह उठता है कि मुस्लिम समुदाय अपनी नुमाइंदगी बढ़ाने की मांग भाजपा से तो करेगा नहीं तो इसकी जिम्मेदारी समाजवादी पार्टी जोकि उत्तर प्रदेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी है तो समाजवादी पार्टी की जिम्मेदारी सबसे ज्यादा है। मैं शोएब अहमद राष्ट्रीय अध्यक्ष यूनाइटेड मुस्लिम फाउंडेशन समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव जी से यह मांग करता हूं कि जिन सीटों पर मुस्लिम वोटरों की संख्या 25 परसेंट से ज्यादा है उन सीटों पर मुस्लिम समुदाय की दावेदारी पर ही विचार किया जाए और मुस्लिम समुदाय के समाजवादी विचारधारा के युवकों को टिकट देकर उनको राजनीति की मुख्यधारा में लाया जाए।
१- जिन विधानसभा सीटों पर मुस्लिम वोटों की संख्या 75 हजार से ज्यादा है और उस विधानसभा का प्रतिनिधित्व दूसरे समुदाय के लोग कर रहे हैं उन विधानसभा पर मुस्लिम समुदाय के लोगों को टिकट दिया जाए।
२- जो विधानसभा सीटें मुस्लिम बाहुल्य होने के साथ आरक्षित हैं उन सीटों के आरक्षण पर पुनर्विचार करने के लिए चुनाव आयोग को पत्र लिखा जाए।
३- जिन मुस्लिम सीटों पर मुस्लिम समुदाय की 1 से ज्यादा लोगों की दावेदारी है उन सीटों पर टिकट की घोषणा जल्दी से जल्दी करी जाए ताकि विभिन्न दावेदारों का आपस में संबंध ना खराब हो और सब मिलकर पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार को विजयी बनाने का काम करें।
मुस्लिम हितो की बात करना किसी भी तरह से किसी भी जाति या धर्म विशेष के हितो के खिलाफ नही है, बल्कि आज ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि सभी राजनीतिक पार्टिया मुसलमानो के साथ सार्वजनिक मंच साझा करने से परहेज कर रही है।
यूपी की राजनीति मे सपा सबसे बडी विपक्षी राजनीतिक पार्टी है तो सपा की जिम्मेदारी सबसे ज्यादा है।
शोएब अहमद “राष्ट्रीय अध्यक्ष”
यूनाइटेड मुस्लिम फाउंडेशन (यूएमएफ)…

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें